Tuesday 27 November 2012

स्वयंसेवक



   हर चट्टान टूटे, जब तू आगे बढे, 
   हर नदी किनारा तुझे दे जाए, जब तू आगे बढे,
आसमा ज़ुखे,...ये धरती तेरा स्वागत करे जब तू आगे बढे,

ये ज़ल्ज़ल्ला मुट्ठी में बांध हो,  
गर तू चाहे,
हर मुशकिल धुआ धुआ हो जाए,..हर नाकामयाबी पिघल जाये, 
बस ठान ले तू जीतने की।।। ..                                                1)

हर कोशिष है कामयाब, अगर दिल से है की, हर कामयाबी दिल में बसी, गर कोशिष है की,
दिल में बना रखना ज़स्बा जीत का,
होगी जीत तेरे जस्बे की,

Nylon की तार हो,...या हो तार लोखंड की,....
क्या फरक पड़ता है जब तूने ठान ली उसे तोड़ने की।।। 

रुकावटों की लग जाए वाट, जब तू आगे बढे,
हर प्रक्रिति दे तेरा साथ, जब तू आगे बढे,..
ये अँधेरा भी रोशन हो जाए,,..गर तू चाहे,
तेरी तमन्नाओं को आसरा मिल जाए,...

बस जीत ले तू ये दुनिया सारी।।। .....                                         2)

Sunday 18 November 2012

Craving...

एक छोटी सी ललकार और,
धीमी सी पूछ कही से निकली, और रात की चिंगारी जाग रही थी।
कही हवस के दिए जल रहे थे ,
और कही रोहिणी बिना आहट - चाँद संग रात्रि का नज़ारा बन चुकी थी।
फिर भी ये भीगी, इस भूख को कौन काबू करे ?                      1)

 नादानी और मासूमियत बिस्तर में नंगी बनती है,
जिसका कोई ज्ञान न हो -
उसपे पिचकारियाँ चलती है।
फटे कपडे, दुखते अंग और शर्म से सिकुड़े अवशेष,..
कोई जानवर भी ये देख ज़मीन में गढ़ जाए
बहोत हद्द पार ये समाज सभ्यता फेल चुकी है।                         2)


आज आदमी आम हो चूका है,
और सारी  क्रीडाए भी हवस की तरह,...आम फेल चुकी है।
नंगा ताण्डव लालच का हर मुह से टपक रहा है,
ये जगत फेला रहा है अँधेरा,.....और
कुछ धुआ सा नशा सब पे छा चुका है।
हरकतों पे काबू पाना मुश्किल है, और बस  सारे पहिये नीचे ही घूमते है।
काश अभी सभ्यता जिंदा होती।                                                  3) 

Thursday 8 November 2012

ELECTRIC MOON

चाँद की कहानी,
चाँद की जुबानी,..

'अरे क्यों दम भरते हो, क्यों मामा सबको हो बनाते,
चाँद को दाग लगते,
और फिर चाँद के नाम से ही साबुन , बत्ती , कोल्ड क्रीम  लगते,..
वाह रे इंसान, तेरी कमाल

खुशबु बेचे तू, सब दूर गंदगी फैलाके,
रोशिनी दे पैकेट में, सबों ओर काला चुना पुताके,
Nutritious गोलिया बटता फिरे, अनाज के Nutrition चुराके,
समुंदर में पसीना छोड़े, Save Water और साफ़ पानी का tag लगाके।
सबों पेड़ काटके, बनाए पेपर, लिखे उसपर 'save tree' और  ठाक से मनाए  Environment day।
वाह रे इंसान,  
तेरी कमाल  ....

खुद Ozone को खोदे, और UN मीटिंग बुलाए, उसके बचाने ,
गरीब देशों में Charity और सभ्यता का पाठ पढ़ाने,
और बाकी खुद कचरा बढाए , Energy की Atomic धज्जिया उड़ने ,
और सारे नियम पढ़े
गर हम अगरबत्ती भी जलाए,
वाह  रे इंसान,
तेरी कमाल ....

व्यर्थ लहू खनीज जलाके,
खोजे नए Space Time Dimensions घुमाके,
चाँद मंगल पर खोजे पानी, खुद का पानी जलाके,
जिंदा आत्मा को जलाए, लोगों को क्लेश गालिया टेंशन बजाके,
फिर प्राणायाम बेचे ,- शांत मन की उपमा चाँद को बताते,
चीथड़े फाड़
दे बच्चों की दुनिया उजाड़,
फिर दे बांट उन्हें प्रेम से 'चाँद की कहानियों की किताब'..'