Tuesday, 23 October 2012

ताज महल


किमत उसकी हवाओं ने चुकाई,  
आज तक दीवारों में माथा फोडती है।
पानी के मोल से बहा है पसीना ,..  और फिर लहू,..
इसकी किमत क्या है ?...                     
रास्ते के बड़े बड़े पत्थरों को तोड़ मुलायम बनाया,
फिर पानी मिट्टी जोड़, अमर बनाया,
परिश्रम, मौत से बनाया ये नजराना
इसकी किमत क्या है ?...



बहोत हाथ लगे इसको सफ़ेद बनवाने,
बहोत साल लगे इसको युगों युगों तक फ़ैलाने,
आत्मा बिठा रख्ही है , इस संगमर्मर के जहां में
इसकी कीमत क्या है ?...




दिन न देखा, रात न देखी
देखि न जिंदगी, मौत न देखि,


आव  न देखा, ताव न देखा,....न देखा घड़ियाल में घुमता रेत का सितारा ...

किमत इसकी क्या है ???

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