Friday, 26 October 2012

Coal - Taar

आज तंबाकु सिनेमा देखने चला,
धुए का Shirt और रोशिनी के दस्ताने पहने चला,
की हरकत आज कोई खास न थी,
Lungs में भी तो कहा जान बची थी।

बस मनमानी में करता चलू,
बस धुए में ही में, बहता चालू,
ऐ ,.,.काश कोई किताब मुझे व्यसन से कटती,..
तो ये पैमाल ज़िन्दगी मेरी, बेमिसाल हो पाती,
मै भी ज़िन्दगी के दो मीठे बोल पढता।  नाउमीद इस अंधकार के Cancer से बचता।।

पर तबियत सवार थी मेरी,
जुल्फों में उड़ान थी मेरी,
मर्दानगी की शान, मै, बस अब  धुआ  ही रह गया हु ..
खोखला खली शरीर, बिना आत्मा बेजान रह गया हू
चिन्धधे  चिन्धधे खासी से मेरे, उड़ते खून के फौअरे।

आलिशान बिस्तर Air  Condition में पड़ा हु, फिर भी नहीं जा पाता नींद के किनारे,
कभी Cigarette जलती थी जहाँ, उसी आग में मै, आज तपता यहाँ।
कोई दे मुक्ति इस दर्द से मेरे,
फिर से मै  मिलना चाहू इस खूबसूरत ज़िन्दगी से,

पर ...अफ़सोस ...
तड़पता पड़ा मै यहाँ ,
ए ....काश अभी भी देर न हुई होती।






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